Call Us: 0121-2760063, 4033787







क्या होता है अर्थराइटिस/ गठिया

अर्थराइटिस यानी गठिया आज की बदलती जीवनशैली, मोटापा, गलत खानपान आदि वजहों से ये रोग अब केवल बुजुर्गो तक हीं सीमित नहीं रह गया है। बल्कि युवा भी इसका शिकार होते जा रहे है। अर्थराइटिस का सबसे अधिक प्रभाव घुटनों में और उसके बाद कुल्हे की हड्डियों में दिखाई देता है। बहुत लोग समय-समय पर अपने बदन में दर्द और अकड़न महसूस करते हैं। कभी-कभी उनके हाथों, कंधों और घुटनों में भी सूजन और दर्द रहता है तथा उन्हें हाथ हिलाने में भी तकलीफ होती है। ऐसे लोगों को अर्थराइटिस हो सकता है।

अर्थराइटिस जोड़ों की सूजन है। यह एक संयुक्त या एकाधिक जोड़ों को प्रभावित कर सकता है। विभिन्न कारणों और उपचार विधियों के साथ 100 से अधिक विभिन्न प्रकार के गठिया हैं। सबसे आम प्रकारों में से दो ऑस्टियो अर्थराइटिस और रूमेटोइड अर्थराइटिस हैं। अर्थराइटिस जोड़ों के ऊतकों की जलन और क्षति के कारण होता है। जलन के कारण ही ऊतक लाल, गर्म, दर्दनाक और सूज जाते हैं। यह सारी समस्या यह दर्शाती है की आपके जोड़ों में कोई समस्‍या है। जोड़ वह जगह होती है जहां पर दो हड्डियों का मिलन होता है जैसे कोहनी या घुटना। कुछ तरह के अर्थराइटिस में जोड़ों की बहुत ज्यादा क्षति होती है। अर्थराइटिस के लक्षण आमतौर पर समय के साथ विकसित होते हैं, लेकिन वे अचानक भी प्रकट हो सकते हैं। यह आमतौर पर 65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में देखा जाता है, लेकिन यह बच्चों, किशोरों और युवा वयस्कों में भी विकसित हो सकता है। पुरुषों में और अधिक वजन वाले लोगों की तुलना में महिलाओं में अर्थराइटिस अधिक आम है।

अर्थराइटिस के प्रकार:

रूमेटॉयड अर्थराइटिस
यह इस बीमारी का बहुत अधिक पाया जाने वाला गंभीर रूप है। इस अर्थराइटिस का समय पर प्रभावी उपचार करवाना आवश्‍यक होता है वरना बीमारी बढ़ने पर एक साल के अन्दर ही शरीर के जोड़ों को काफी नुकसान हो जाता है।

सोराइटिक अर्थराइटिस
अर्थराइटिस के दर्द का यह रूप सोराइसिस के साथ प्रकट होता है। समय पर और सही इलाज न होने पर यह बीमारी काफी घातक और लाइलाज हो जाती है।

ओस्टियोसोराइसिस
इस तरह का अर्थराइटिस आनुवांशिक हो सकता है। यह उम्र बीतने के साथ प्रकट होता है। यह विशेष रूप से शरीर का भार सहन करने वाले अंगों पीठ, कमर, घुटना और पांव को प्रभावित करता है ।

पोलिमायलगिया रूमेटिका
यह 50 साल की आयु पार कर चुके लोगों को होता है। इसमें गर्दन, कंधा और कमर में असहनीय पीड़ा होती है और इन अंगों को घुमाने में कठिनाई होती है। अगर सही समय पर सही इलाज हो तो इस बीमारी का निदान किया जा सकता है। लकिन कई कारणों से आमतौर पर इसका इलाज संभव नहीं हो पाता है।

एनकायलाजिंग स्पोंडिलाइटिस
यह बीमारी सामान्यत: शरीर के पीठ और शरीर के निचले हिस्से के जोड़ों में होती है। इसमें दर्द हल्‍का होता है लेकिन लगातार बना रहता है। इसका उपचार संभव हैं लेकिन सही समय पर इसकी पहचान कर सही इलाज किया जाए जा सकता है।

रिएक्टिव अर्थराइटिस
शरीर में किसी तरह के संक्रमण फैलने के बाद रिएक्टिव अर्थराइटिस होने का खतरा रहता है। आंत या जेनिटोरिनैरी संक्रमण होने के बाद इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। इसमें सही इलाज काफी कारगर साबित होता है।

गाउट या गांठ
गांठ वाला अर्थराइटिस जोड़ों में मोनोसोडियम युरेट क्रिस्टल के समाप्‍त होने पर होता है। भोजन में बदलाव और कुछ सहायक दवाओं के कुछ दिन तक सेवन करने से यह बीमारी ठीक हो जाती है।

सिडडोगाउट
यह रूमेटायड और गाउट वाले अर्थराइटिस से मिलता जुलता है। सिडडोगाउट में जोडों में दर्द कैल्शियम पाइरोफासफेट या हाइड्रोपेटाइट क्रिस्टल के जोड़ों में जमा होने से होता है।

सिस्टेमिक लयूपस अर्थिमेटोसस
यह एक ऑटो इम्यून बीमारी है जो जोड़ों के अलावा शरीर के त्वचा और अन्य अंगों को प्रभावित करती है। यह बच्चे पैदा करने वाली उम्र में महिलाओं को होती है। वैसे तो यह जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाली बीमारी है लेकिन समय पर इसकी पहचान कर इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है।

© 2017 Dr. Sharad Jain. All rights reserved.